शहर से सटे औद्योगिक क्षेत्रों में महंगी भूमि और अन्य शुल्कों के बोझ से अपने उद्यम स्थापित करने से पहले ही मैदान छोड़ने वाले छोटे कारोबारियों को गाव और कस्बे में ही इंडस्ट्रियल एस्टेट जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी.
जिले में लघु उद्योगों की संख्या और निवे के जरिए आर्थिक सेहत सुधारने के लिए उद्योग विभाग ने इसका खाका खींचा है. जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त अनुज कुमार ने सभी तहसील के एसडीएम को बड़ी ग्राम सभाओं में 10-10 एकड़ ग्राम सभा भूमि मागी है.
ईंटों के दाम घटेंगे और खत्म होंगे बिचौलिये
किसानों के लिए मिट्टी खनन पर रॉयल्टी खत्म होने के बाद जिले के भट्टा मालिकों में भी आस जगी है. उन्होंने भट्टों के लिए भी रॉयल्टी कम करने की माग करते हुए ईंटों के रेट भी कम करने का आश्वासन दिया है. साथ ही रॉयल्टी कम होने से बिचौलियों के भी खत्म होने की संभावना जताई है.
ईंट निर्माता समिति के अध्यक्ष हाजी आफताब अहमद ने बताया कि रॉयल्टी कम होने से भट्टा व्यवसाय को दम मिलेगा. इससे ईंट के रेट कम होंगे तो निश्चित तौर पर सीधा लाभ लोगों का होगा. सरकारी रेट कम कराने के लिए जल्द ही जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को पत्र भेजेंगे.
भट्ठा कारोबार का हाल खराब
मिट्टी खनन पर भारी रायल्टी के चलते जिले में कई भट्टे बंद हो गए. पिछले साल तक जो कोयला नौ हजार रुपये के हिसाब से मिलता था, इस बार करीब 12 हजार रुपये हो गया है. करीब सौ टन कोयला नौ लाख ईंट को पकाने में खर्च होता है. इस कारण भट्टा व्यवसायी परेशान हैं.
कहीं अधिक हैं सरकारी दाम
मौजूदा समय में ईंट के पीडब्ल्यूडी के हिसाब से काफी अधिक रेट हैं. अव्वल क्वालिटी की ईंट सरकारी रेट में 58 सौ रुपये प्रति हजार है, जबकि भट्टा स्वामी मात्र चार हजार में अव्वल ईंट दे रहे हैं. इसी तरह सेकेंड क्वालिटी की ईंट सरकारी रेट के हिसाब से 52 सौ रुपये प्रति हजार है, जबकि भट्टे पर वह मात्र तीन हजार प्रति हजार है.
बिचौलिये होंगे समाप्त
भट्ठा कारोबारी रायल्टी चुकाने के बाद ही खनन प्रक्रिया शुरू करते हैं. भट्टा कारोबार की आड़ में कई बिचौलिये खनन के कारोबार में सक्रिय हैं. इतना ही नहीं बिचौलिये ही सरकारी कामों के लिए ईंटे उपलब्ध करा रहे हैं.
भट्टा व्यवसायी जीएसटी के चलते अधिक दर पर बिल नहीं दे रहे हैं, इस कारण कई बिचौलिये खड़े हो गए हैं. वे भट्टों से कम दाम पर माल लेकर अधिक दाम पर सरकारी विभागों को बेच रहे हैं.
जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र के उपायुक्त अनुज कुमार ने बताया कि स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों या विशेष प्रोजेक्ट में ज्यादातर बड़े उद्यम होते हैं.
इस कारण लघु उद्योगों को उनकी रेंज और निवेश के लिए अनुमानित रकम के आधार पर न जमीन मिल पाती है और न सुविधाएं. ऐसे उद्यमियों और निवेशकों को ग्रामीण क्षेत्र में सस्ती दर व सुविधाओं साथ भूमि उपलब्ध कराके उद्योग का माहौल उपलब्ध कराया जाएगा.
चढ़ गए दाम
जिले में बड़े औद्योगिक क्षेत्र के तौर पर परसाखेड़ा, भोजीपुरा और फरीदपुर इंडस्टियल एस्टेट हैं. बड़े-बड़े उद्योग, फैक्टिया और पैकेजिंग यूनिट के चलते इन एस्टेट के भीतर जमीनों के दाम आसमान पर पहुंच गए. इसलिए लघु उद्यमियों को उद्योग का माहौल, सुविधाएं कम खर्च में उपलब्ध कराने के लिए गावों में औद्योगिक आस्थान का खाका खींचा गया.
हाईवे किनारे सहूलियत
पहले उन गावों को लिया जा रहा है, जहा ग्राम सभा की 10 एकड़ से अधिक भूमि उपलब्ध है. इस भूमि को तहसील व जिला प्रासन के माध्यम उद्योग निदेालय के पक्ष में निश्शुल्क लेने के प्रयास किए जाएंगे.
लीज पर मिल सकेगी भूमि
उद्योग विभाग प्रासन से तो ग्राम समाज की भूमि निश्शुल्क लेगा, लेकिन उद्यमियों को मुफ्त में यह जमीन नहीं मिल सकेगी. जमीन एक न्चित अवधि के लिए लीज पर दी जाएगी.
गाव में जमीन मिलने पर प्लॉट और सड़क, बिजली आपूर्ति के प्रावधानों को उद्योग विभाग पूरे कराएगा. उसी गाव के लोग उद्योग लगाने के प्रस्ताव देते हैं तो उन्हें वरीयता दी जाएगी.
बढ़ सकेगा ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार
फसल का सीजन खत्म होने के बाद ग्रामीण युवा रोजगार के लिए नजदीकी कस्बे या हर दौड़ते हैं. अपने गाव में ही लघु उद्योग लगने पर उन्हें वहीं रोजगार उपलब्ध हो सकेगा.
यह है भट्ठों की स्थिति
भट्टा स्वामियों की मानें तो जिले में 15 पाये से लेकर 27 पाये तक के भट्टे हैं. करीब 90 फीसद भट्टे 23 पाये के हैं. मौजूदा वक्त में भट्टा स्वामियों को 23 पाये के भट्टे के लिए करीब 1.83 लाख रुपये की रायल्टी देनी पड़ रही है.
इसमें करीब 16 हजार रुपये बालू और बाकी मिट्टी के लिए होते हैं. सरकार अगर यह रायल्टी कम करती है तो ईंटों के दाम काफी कम हो सकते हैं.
उद्यमियों की बात
अपने गाव में ही लघु उद्योग लगने पर स्थानीय युवाओं और लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा. खेती के बाद खाली बैठने वाले युवाओं को भी काम मिलेगा. इससे वे भी खुहाल होंगे और गाव व हर भी संपन्न होगा.
– राजेश गुप्ता, उद्यमी
जिला उद्योग केंद्र का यह प्रस्ताव सराहनीय है. निवे बढ़ा कर आर्थिक स्थिति सुधारने वाले इस प्रस्ताव के लागू होने से जिले में उद्योगों की बढ़ोत्तरी होगी और यहा के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा.