भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह जिस जिला सहकारी बैंक के निदेशक हैं, वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक लिए गये नोटबंदी के फैसले के बाद करीब 750 करोड़ रुपये जमा किए गये थे.
गौर करने वाली बात है कि प्रदेश के सबसे बड़े सहकारी बैंक- गुजरात सहकारी बैंक लिमिटेड में इन दोनों सहकारी बैंकों के मुकाबले बेहद कम 1.11 करोड़ रुपये जमा हुए थे.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक मुंबई के एक आरटीआई कार्यकर्ता की याचिका के जवाब में यह खुलासा हुआ है.
मालूम हो कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था और जनता को बैंकों में अपने पास जमा पुराने नोट बदलवाने के लिए 30 दिसंबर 2016 तक यानी 50 दिनों की मियाद दी गई थी.
हालांकि इस फैसले के 5 दिन बाद यानी 14 नवंबर 2016 को सरकार की ओर से यह निर्देश दिया गया कि किसी भी सहकारी बैंक में नोट नहीं बदले जाएंगे. ऐसी आशंका थी कि जमा काले धन को सफेद करने के लिए ऐसे बैंकों का दुरुपयोग हो सकता है.
इस आरटीआई के जवाब में यह सामने आया है कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (एडीसीबी) ने इन्हीं पांच दिनों में 745.59 करोड़ मूल्य के प्रतिबंधित नोट जमा किए.
बैंक की वेबसाइट के मुताबिक अमित शाह अब भी इस बैंक के निदेशक हैं और इस पद पर कई सालों से बने हुए हैं. साल 2000 में वे इस बैंक के अध्यक्ष भी थे.
31 मार्च 2017 तक एडीसीबी में कुल 5,050 करोड़ रुपये जमा हुए थे और वित्त वर्ष 2016-17 का इसका मुनाफा 14.31 करोड़ का था.
एडीसीबी के बाद सबसे ज्यादा प्रतिबंधित नोट राजकोट जिला सहकारी बैंक में जमा हुए, जिसके चेयरमैन जयेशभाई विट्ठलभाई रदाड़िया हैं, जो गुजरात की विजय रूपाणी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर हैं. यहां 693.19 करोड़ मूल्य के पुराने नोट जमा हुए थे.
राजकोट, गुजरात में भाजपा की राजनीति का गढ़ माना जाता है- नरेंद्र मोदी 2001 में पहली बार यहीं से विधायक बने थे.
मुंबई के कार्यकर्ता मनोरंजन एस रॉय की आरटीआई के जवाब में यह जानकारी नाबार्ड, जो इन बैंकों की सर्वोच्च अपीलीय इकाई है, के चीफ जनरल मैनेजर एस. सर्वनावेल द्वारा दी गयी है.