संस्थाओं की जिद से फुटबॉल बने नौ महीने के लावारिश मासूम की हकीकत दिखाई तो शासन हरकत में आ गया. प्रमुख सचिव (महिला कल्याण) रेणुका कुमार ने डीपीओ से दो घंटे में कार्रवाई रिपोर्ट मांग ली. डीपीओ ने शासन के रुख की रामपुर के राजकीय शिशु गृह के अधिकारियों को जानकारी दी.
राजकीय शिशु गृह की अधीक्षिका बच्चे को अपने यहां रखने को तैयार हो गईं. डीपीओ ने बच्चे को रामपुर भेजने के आदेश कर दिए. मालूम हो कि चाइल्ड लाइन को शहादाना की मजार पर 7 अप्रैल को नौ महीने का लावारिश मासूम मिला था. बच्चे की मेडिकल जांच के लिए चाइल्ड लाइन ने जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया.
10 अप्रैल को सीडब्ल्यूसी ने बच्चे को बरेली की वोर्न बेबी फोल्ड भेजने के आदेश कर दिए. मगर वोर्न बेबी फोल्ड ने बच्चों के इंकार कर दिया.14 अप्रैल को बच्चे को रामपुर के राजकीय शिशु गृह भेजने के आदेश बाल कल्याण समिति ने दिए. राजकीय शिशु गृह ने भी बच्चे को लेने से मना कर दिया. गुरुवार को सीडब्ल्यूसी ने फिर बच्चे को वोर्न बेबी फोल्ड संस्था में भेजने के आदेश दे दिए. वोर्न बेबी फोल्ड ने फिर बच्चे को संस्था के गेट से लौटा दिया.
संस्थाओं की जिद की वजह से मासूम का जीवन खतरे में आ गए. चाइल्ड लाइन वर्कर संस्थाओं की कारगुजारी से बार-बार अधिकारियों को जानकारी दे रहा था. इसके बाद भी संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. शुक्रवार को संस्थाओं की कारगुजारी को प्रमुखता से प्रकाशित किया. अस्पताल में वक्त काट रहे मासूम की तस्वीर सामने रखी.
महिला कल्याण की प्रमुख सचिव ने खबर पर कार्रवाई शुरू कर दी. डीपीओ को बच्चे को तुरंत संस्था में भर्ती कराने को कहा. बच्चे को लेने से मना करने वाली संस्था के खिलाफ कार्रवाई कर दो घंटे में रिपोर्ट देने को कहा. प्रमुख सचिव के तेवर देख रामपुर के राजकीय शिशु गृह के अधिकारी तुरंत बच्चे को लेने को तैयार हो गए. शुक्रवार को बच्चा रामपुर भेज दिया गया.
प्रमुख सचिव ने दो घंटे में रिपोर्ट देने को कहा है. राजकीय शिशु गृह बच्चे को लेने को तैयार हो गया है. बच्चे को रामपुर भेज दिया है. सीडब्ल्यूसी के आदेश की अनदेखी करने वाली संस्थाओं की भी रिपोर्ट शासन को भेज दी है. नीता अहिवार, डीपीओ
बाल कल्याण समिति के आदेश को न मानने वाली वोर्न बेबी फोल्ड संस्था के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है. महिला कल्याण विभाग की डायरेक्टर को वोर्न बेबी फोल्ड के कारनामों की रिपोर्ट भेज दी गई है.