लखनऊ के बाद अब सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह के इलाके आंवला में सड़क के किनारे सैकड़ों टन आलू फेंक दिया गया. बुधवार को बरेली-बदायूं रोड पर कोल्डस्टोर के लोग आलू फिंकने के लिए पहुंचे तो लोग भड़क गए और अफसरों से शिकायत कर दी.
सड़कों के किनारे आलू के ढेर से दुर्गन्ध फैल गई है और लोगों का गुजरना मुश्किल हो गया. सिंचाई मंत्री ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग किसानों की आड़ में गंदी राजनीति कर रहे हैं.
आंवला में बरेली का सबसे अधिक आलू उत्पादन होता है. इस वजह से यहां तमाम कोल्ड स्टोर हैं. इलाके के किसान आलू की खुदाई करने के बाद उसे कोल्ड स्टोर में रखते हैं.
पिछले दिनों आलू की कीमतें कोल्ड स्टोर के किराये से कम हो गईं तो किसानों ने आलू नहीं उठाया. ऐसे में कोल्ड स्टोर मालिकों ने आलू को जहां-तहां फिंकवाना शुरू कर दिया. पिछले कुछ दिनों से बरेली-बदायूं रोड के किनारे आलू फेंका जा रहा है.
गांवों के लोग बोरों में भरकर ले गए आलू
आसपास के गांवों के लोग पुराने आलू को बोरों में भरकर ले गए. मगर मात्रा इतनी ज्यादा है कि अब भी सड़क के किनारे आलू ही आलू नजर आ रहा है. किसान आलू का यह हाल देखकर निराश और परेशान हैं.
फूटा दरवाजा के जमील खां, कनगांव के राजवीर सिंह, आंवला के रामदयाल व राजेश कहते हैं, कर्जा लेकर आलू की फसल की थी. बड़ी उम्मीदें थी, लेकिन अब वह और भी कर्जे में चले गए हैं.
मंडी में नहीं हैं पुराने आलू के खरीददार
कृषि मंडी में पुराने आलू के खरीददार नहीं हैं, क्योंकि काफी कम कीमत पर अगैती फसल का आलू लोगों को मिल रहा है.
पुराना आलू खाने में मीटा हो जाता है और नया आलू खाने में मीठा नहीं होता. इस समय बाजार में थोक में नया आलू की कीमत ही चार-पांच रुपए बनी हुई है.
नहीं हुई आलू की सरकारी खरीद
सपा सरकार में आलू की सरकारी खरीद सीजन में किए जाने के विज्ञापन बहुत छपे और दावे भी किए गए, लेकिन आंवला क्षेत्र में कोई भी आलू खरीद का सरकारी सेंटर नहीं खुला.
जिससे मजबूर होकर किसानों को अपना सारा आलू कोल्डस्टोरेज में भंडारण करना पड़ा. उन्हें उम्मीद थी कि शायद आलू का रेट कुछ सुधर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और भारी मात्रा में आलू कोल्डस्टोरेज में रह गया.